Dhirendra Shastri in NCERT statement and controversy: धीरेंद्र शास्त्री, जो बागेश्वर धाम के प्रमुख हैं, हमेशा से अपने विवादों बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं। हाल ही में उन्होंने एक और विवाद को जन्म दिया जब उन्होंने एनसीईआरटी (NCERT) की किताबों पर बच्चों को गुमराह करने का आरोप लगाया। यह विवाद तब और गरमाया जब एक महिला, रीनू, ने केवल अहमद बच्चों के लिए पत्र लिखा और शास्त्री ने इसे लेकर सवाल उठाए।
Dhirendra Shastri in NCERT statement and controversy
धीरेंद्र शास्त्री का मतलब था कि एनसीईआरटी की किताबें बच्चों के मन में भ्रम पैदा कर रही हैं, और विशेष रूप से एक धर्म को लक्ष्य बनाकर उन्हें गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि रीनू ने केवल अहमद बच्चों के लिए पत्र क्यों लिखा? क्या यह किसी खास मंशा के तहत किया गया?
Reenu letter and its intent
रीनू ने NCERT की किताबों के कुछ हिस्सों पर आपत्ति जताई थी और कहा कि इससे बच्चे गुमराह हो रहे हैं। रीनू का दावा था कि यह सिर्फ़ उनके धर्म के बच्चों के लिए एक समस्या नहीं है, बल्कि यह सभी बच्चों पर असर डाल रहा है। लेकिन, उन्होंने खासकर अहमद बच्चों का जिक्र क्यों किया? यह सवाल धीरेंद्र शास्त्री ने उठाया और यह पूरे विवाद का केंद्र बना।
NCERT books and the cause of controversy
एनसीईआरटी की किताबें हमेशा से ही अलग अलग धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों के प्रति संवेदनशील रही हैं। लेकिन समय-समय पर उन पर विवाद भी हुए हैं। इस मामले में, विवाद की शुरुआत इसलिए हुई क्योंकि कुछ समुदायों को लगा कि उनकी धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाई गई है।
धीरेंद्र शास्त्री ने इसे लेकर सवाल उठाए कि क्यों NCERT की किताबों में कुछ खास धर्मों के खिलाफ बात की जा रही है और इसका बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उनका कहना है कि बच्चों का मानसिक विकास सही दिशा में होना चाहिए और उन्हें धर्म की शिक्षा मिलनी चाहिए।
धीरेंद्र शास्त्री का यह भी कहना था कि धार्मिक दृष्टिकोण से यह एक गंभीर मुद्दा है। उनके अनुसार, किसी भी बच्चे को उसके धर्म के आधार पर अलग तरह से शिक्षा देना गलत है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बच्चों को धार्मिक रूप से गुमराह करना समाज के लिए घातक साबित हो सकता है।
शास्त्री ने इस मुद्दे को ध्यान रूप से देखते हुए यह भी कहा कि यह सिर्फ़ NCERT की किताबों का मामला नहीं है, बल्कि इससे जुड़े अन्य कई सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू भी हैं जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए।
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Role of NCERT and need for improvement
NCERT ने कई बार अपनी किताबों में सुधार करने की कोशिश की है, लेकिन यह पहली बार नहीं है कि उनकी किताबों पर विवाद हुआ हो। शिक्षा मंत्रालय ने भी इस बात को स्वीकारा है कि किताबों में सुधार की गुंजाइश है और यह प्रक्रिया जारी रहेगी।
हालांकि, धीरेंद्र शास्त्री जैसे धार्मिक नेताओं का कहना है कि यह सुधार प्रक्रिया तेज होनी चाहिए और बच्चों के मानसिक विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। शास्त्री के अनुसार, बच्चों को सही और धर्म की शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि वे सही दिशा में आगे बढ़ सकें।
धीरेंद्र शास्त्री के समर्थक इस मुद्दे पर उनके साथ खड़े हैं। उनके अनुसार, शास्त्री का यह कदम बच्चों के हित में उठाया गया है। उनका कहना है कि शास्त्री हमेशा से बच्चों के भविष्य को लेकर गंभीर रहे हैं और उनका मकसद है कि बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन मिले। Dhirendra Shastri in NCERT statement and controversy
उनके समर्थकों का यह भी कहना है कि NCERT की किताबों में सुधार की जरूरत है और यह सुधार तभी संभव है जब इस पर सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी विचार किया जाए।
यह विवाद अब केवल शास्त्री और NCERT के बीच का मुद्दा नहीं रह गया है। यह अब एक बड़े सामाजिक और धार्मिक मुद्दे के रूप में उभर रहा है, जिसमें कई पक्ष शामिल हो रहे हैं। NCERT को इस मामले में अपने पाठ्यक्रमों की समीक्षा करनी होगी ताकि इस तरह के विवादों से बचा जा सके।
धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान सिर्फ़ एक घटना नहीं है, बल्कि यह भविष्य में भी शिक्षा और धर्म के बीच टकराव का संकेत देता है। शिक्षा को धर्मनिरपेक्ष रखने की जरूरत है, लेकिन साथ ही धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों का सम्मान भी किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
Dhirendra Shastri in NCERT statement and controversy यह विवाद भविष्य में कई और सवाल खड़े कर सकता है। बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक मुद्दों को लेकर समाज में जो चिंताएं हैं, उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन देना है, न कि उन्हें गुमराह करना। ऐसे में इस विवाद का समाधान केवल संवाद और समझ के माध्यम से ही हो सकता है।
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